कर्नाटक की सियासत में फिर एक नया मोड़ आया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने Karnataka Budget 2025 पेश कर दिया है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लिए कई अहम घोषणाएँ की गई हैं। सरकार ने 4% आरक्षण, मुस्लिम लड़कियों के लिए 15 नए कॉलेज, वक्फ संपत्तियों के विकास के लिए करोड़ों का बजट और इमामों की सैलरी जैसी योजनाओं का ऐलान किया है। लेकिन इस फैसले ने एक बड़ा विवाद भी खड़ा कर दिया है। भाजपा ने इसे सीधा ‘हलाल बजट’ करार देते हुए कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है।
यह बजट कितना सही है? क्या यह संविधान के अनुरूप है? विपक्ष को इससे क्या आपत्ति है? इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
क्या है सिद्धारमैया सरकार की बड़ी घोषणाएँ?
मुस्लिमों को 4% आरक्षण का ऐलान
कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों (Public Works Contracts) में 4% आरक्षण देने का फैसला किया है। इसका लाभ श्रेणी-II B के तहत मुसलमानों को मिलेगा। इसका मतलब यह है कि सरकारी ठेकों और विकास परियोजनाओं में मुस्लिम समुदाय को प्राथमिकता मिलेगी।
क्या है श्रेणी-II B?
यह कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आने वाली एक कैटेगरी है, जिसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल किया गया है। इस श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों, ठेकों और अन्य क्षेत्रों में विशेष आरक्षण का प्रावधान होता है।
यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि पहले ही कई समुदाय आरक्षण को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में सरकार का यह कदम नए विवादों को जन्म दे सकता है।
मुस्लिम लड़कियों के लिए 15 महिला कॉलेज
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 15 नए महिला कॉलेज खोलने का ऐलान किया है। दिलचस्प बात यह है कि ये सभी कॉलेज वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनाए जाएंगे, लेकिन इसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी।
इस फैसले के खास बिंदु:
पहलू | जानकारी |
---|---|
कॉलेजों की संख्या | 15 |
निर्माण स्थल | वक्फ बोर्ड की जमीन |
फंडिंग | कर्नाटक सरकार द्वारा |
उद्देश्य | मुस्लिम लड़कियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना |
भाजपा ने इस पर सवाल उठाया है कि जब दूसरे समुदायों के लिए ऐसी सुविधा नहीं दी जा रही, तो क्या यह संविधान के “समानता के अधिकार” का उल्लंघन नहीं है?
मुस्लिमों के लिए वित्तीय सहायता और विकास योजनाएँ
इस बजट में मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई योजनाएँ शामिल की गई हैं।
योजना | आवंटित राशि | लाभार्थी |
---|---|---|
मुस्लिमों की शादियों के लिए सहायता | ₹50,000 प्रति विवाह | अल्पसंख्यक समुदाय के नवविवाहित जोड़े |
वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों का विकास | ₹150 करोड़ | धार्मिक स्थलों और कब्रिस्तानों का विकास |
मुस्लिम सांस्कृतिक कार्यक्रम | ₹50 लाख | मुस्लिम सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा |
मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ITI कॉलेज | N/A | तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना |
केईए के तहत मुस्लिम छात्रों के लिए शुल्क में 50% छूट | N/A | उच्च शिक्षा को सस्ता बनाना |
इमामों और मौज़्ज़िनों को सैलरी देने की योजना
इस बजट में मस्जिदों में कार्यरत इमामों और मौज़्ज़िनों को सरकारी सैलरी देने का भी ऐलान किया गया है।
क्या इससे पहले भी ऐसा हुआ है?
- पश्चिम बंगाल और दिल्ली में पहले से ही इमामों को सरकारी सैलरी दी जाती है।
- भाजपा नेताओं ने इस फैसले को हिंदू धर्मगुरुओं के साथ भेदभाव करार दिया।
भाजपा ने यह भी सवाल उठाया कि अगर इमामों को सैलरी दी जा रही है, तो क्या मंदिरों के पुजारियों को भी इसी तरह वेतन दिया जाएगा?
मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और आत्मरक्षा प्रशिक्षण
सरकार ने मुस्लिम छात्रों और छात्राओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा की:
- राष्ट्रीय और विदेशी छात्रवृत्ति में वृद्धि
- बेंगलुरु में हज भवन का विस्तार
- मुस्लिम लड़कियों को आत्मरक्षा (Self Defense) प्रशिक्षण
- उल्लाल शहर में मुस्लिम लड़कियों के लिए आवासीय PU कॉलेज
इस योजना का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम छात्रों को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ाना और उन्हें अधिक अवसर प्रदान करना है।
कर्नाटक के मल्टीप्लेक्स में मूवी टिकट की अधिकतम कीमत ₹200
बजट में यह भी घोषणा की गई कि कर्नाटक के मल्टीप्लेक्स में मूवी टिकट की कीमत 200 रुपये से अधिक नहीं होगी। इससे महंगे सिनेमाघरों में टिकटों पर लगाम लगेगी और आम जनता को राहत मिलेगी।
भाजपा का विरोध – “यह हलाल बजट है!”
भाजपा ने इस बजट को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे “हलाल बजट” करार दिया।
अमित मालवीय का बयान:
भाजपा नेता अमित मालवीय ने इस बजट को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अधिकारों का हनन बताया।
भाजपा के मुख्य आरोप:
- धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है।
- एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के हक को छीना जा रहा है।
- वोट बैंक राजनीति के लिए राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
क्या यह बजट तुष्टीकरण है या विकास?
इस बजट में मुस्लिम समुदाय के लिए कई बड़ी योजनाएँ लाई गई हैं, जिनका उद्देश्य उनके सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। लेकिन भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “वोट बैंक की राजनीति” करार दिया है।
इस बजट के फायदे:
✅ मुस्लिम लड़कियों को उच्च शिक्षा मिलेगी।
✅ धार्मिक स्थलों और वक्फ संपत्तियों का विकास होगा।
✅ मुस्लिम छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और आत्मरक्षा प्रशिक्षण उपलब्ध होगा।
इस बजट के खिलाफ तर्क:
❌ धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है।
❌ अन्य पिछड़े वर्गों (SC/ST/OBC) के अधिकारों को नजरअंदाज किया गया।
❌ यह कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति का हिस्सा हो सकता है।
अब सवाल यह है कि क्या यह बजट वाकई मुस्लिमों के कल्याण के लिए है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है? जनता को इस पर गहराई से विचार करना होगा।