Nadaaniyan Movie Review: क्या इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर की फिल्म दर्शकों को प्रभावित कर पाई?

हिंदी सिनेमा में नेपोटिज्म और नए चेहरों के डेब्यू की चर्चा हमेशा गर्म रहती है। इस बार, करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन्स की नई फिल्म “नादानियां” ने सुर्खियां बटोरी हैं। यह फिल्म इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर की पहली ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को पेश करती है। नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई इस फिल्म से दर्शकों की उम्मीदें तो थीं, लेकिन क्या यह फिल्म उन्हें निराश करती है? आइए इस “नादानियां” का विस्तृत रिव्यू करें।

फिल्म की जानकारी

फिल्म का नाम: नादानियां
कलाकार: इब्राहिम अली खान, खुशी कपूर, महिमा चौधरी, सुनील शेट्टी, दीया मिर्जा, जुगल हंसराज, अर्चना पूरण सिंह
निर्देशक: शॉना गौतम
लेखक: इशिता मोइत्रा, रीवा राजदान कपूर, जेहान हांडा
निर्माता: करण जौहर, अपूर्वा मेहता, सोमेन मिश्रा
ओटीटी प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स
रिलीज़ डेट: 7 मार्च 2025
रेटिंग: 1/5

फिल्म की कहानी: कमजोर प्लॉट और सतही लेखन

फिल्म की कहानी प्रेम पर आधारित है, लेकिन इसमें मौलिकता की भारी कमी है। यह वही घिसी-पिटी कहानी है जिसमें एक अमीर लड़की (खुशी कपूर) अपने पैसों के दम पर किराए पर एक प्रेमी (इब्राहिम अली खान) रखती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, यह नकली रिश्ता असली प्रेम में बदलने की कोशिश करता है, लेकिन यह दर्शकों को बांधने में असफल रहता है।

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका सतही और बचकाना लेखन है। इशिता मोइत्रा, रीवा राजदान कपूर और जेहान हांडा की लिखी स्क्रिप्ट दर्शकों से जुड़ने में पूरी तरह नाकाम रहती है। फिल्म की स्कूली प्रेम कहानी इतनी अवास्तविक लगती है कि यह दर्शकों के लिए कोई भी वास्तविक भावना पैदा नहीं कर पाती।

निर्देशन: अनुभवहीनता की झलक

फिल्म की निर्देशक शॉना गौतम का यह पहला निर्देशन है और यह अनुभव की कमी साफ दर्शाता है। पूरी फिल्म में कोई स्पष्ट विज़न नहीं दिखता और निर्देशन अत्यधिक कमजोर प्रतीत होता है।

कई दृश्य बिना किसी उद्देश्य के खींचे गए हैं, और कई जगहों पर फिल्म की गति अत्यंत धीमी हो जाती है, जिससे दर्शक बोरियत महसूस करते हैं। स्कूल के छात्रों के किरदारों को जिस तरह प्रस्तुत किया गया है, वह भारतीय समाज के वास्तविक परिदृश्य से मेल नहीं खाता।

कलाकारों का प्रदर्शन: उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी स्टार कास्ट

  1. इब्राहिम अली खान: फिल्म में इब्राहिम अली खान की परफॉर्मेंस अत्यंत सपाट रही। उनके चेहरे पर भावनाओं की कमी रही और डायलॉग डिलीवरी भी प्रभावी नहीं थी। डेब्यू फिल्म में ही उनकी अभिनय क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।
  2. खुशी कपूर: खुशी कपूर इस फिल्म में अपनी तीसरी फिल्म कर रही हैं, लेकिन अब तक उनके अभिनय में कोई सुधार नहीं दिखता। उनकी एक्सप्रेशंस एक जैसी हैं और वह स्क्रीन पर नई ऊर्जा लाने में असफल रहीं।
  3. सुनील शेट्टी और दीया मिर्जा: फिल्म में सीनियर कलाकारों की मौजूदगी केवल स्क्रीन टाइम बढ़ाने के लिए की गई लगती है। सुनील शेट्टी को छोड़कर, बाकी सभी वरिष्ठ कलाकारों ने अपने हिस्से का काम ठीक किया है।
  4. महिमा चौधरी और जुगल हंसराज: इन दोनों कलाकारों ने अपनी सीमित भूमिकाओं में ठीक काम किया है, लेकिन उनका प्रभाव कहानी में ज्यादा नहीं दिखता।
  5. अर्चना पूरण सिंह: अर्चना पूरण सिंह फिल्म में अपने ही पुराने किरदारों को दोहराती नजर आईं, जिससे फिल्म की मौलिकता पर और अधिक सवाल उठते हैं।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: बेहद कमजोर

फिल्म में सचिन-जिगर का संगीत है, लेकिन यह कहीं भी प्रभाव नहीं छोड़ता। प्रेम कहानी के लिए एक अच्छे साउंडट्रैक की जरूरत होती है, लेकिन इस फिल्म में एक भी गाना ऐसा नहीं है जो लंबे समय तक याद रह सके।

फिल्म की कमजोर कड़ियां

कमजोर स्क्रिप्ट: फिल्म की कहानी न केवल सतही है, बल्कि उसमें गहराई की भी कमी है।

निर्देशन की कमी: निर्देशक फिल्म की थीम और टोन को एक जगह नहीं रख पाईं।

इब्राहिम अली खान का अभिनय: उनके चेहरे पर भावनाओं की कमी और डायलॉग डिलीवरी में आत्मविश्वास की भारी कमी दिखी।

संगीत: एक रोमांटिक फिल्म में संगीत बेहद महत्वपूर्ण होता है, लेकिन यह इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी साबित हुआ।

बेमेल कलाकारों की जोड़ी: खुशी कपूर और इब्राहिम अली खान की जोड़ी दर्शकों को बिलकुल भी प्रभावित नहीं कर पाई।

क्या दर्शकों को यह फिल्म देखनी चाहिए?

अगर आप एक अच्छी कहानी, बेहतरीन अभिनय और मजबूत निर्देशन की तलाश में हैं, तो “नादानियां” आपके लिए नहीं है। नेटफ्लिक्स पर देखने के लिए इससे कहीं बेहतर फिल्में मौजूद हैं।

हालांकि, यदि आप केवल स्टार किड्स को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं और आपको हल्की-फुल्की रोमांटिक फिल्में पसंद हैं, तो आप इसे एक बार देख सकते हैं।

अंतिम निष्कर्ष

“नादानियां” उन फिल्मों में से एक है, जो केवल बड़े प्रोडक्शन हाउस के दम पर बनाई जाती हैं, लेकिन कंटेंट में पूरी तरह से असफल रहती हैं। यह फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में असफल रहती है और अंततः इसे एक कमजोर फिल्म के रूप में ही देखा जाएगा।

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